1-वस्ल-ए-यार

#वस्ल-ए-यार की रात
पास भी है और दूर भी
कुछ खास भी है और
उसमें कुछ बात भी है
एक आस भी है और
एहसास की बात भी है
महबूब से पहली-पहली
मुलाकात भी है और
लबों की खामोशी भी है
नजरें कुछ दुखी भी हैं और
साँसें कुछ रुकी भी हैं
कुछ झूठा तकरार भी है
कुछ वादों का इकरार भी है
वस्ल-ए-यार की रात
खुशमिजाज भी है
आखिर एक सवाल भी है
और इंतजार ही है।